Skip to main content

Posts

Recent posts

उमा महेश्वर स्तोत्र

  उमामहेश्वर स्तोत्रम : नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां परस्पराश्लिष्ट वपुर्धराभ्याम । नगेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्यां नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम । नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्याम ॥ नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम । विभूतिपाटिरविलेपनाभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम । जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्याम पञ्चाशरी पञ्जररञ्चिताभ्याम । प्रपञ्च सृष्टिस्थिति संहृताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्याम अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम । अशेषलोकैकहितङ्कराभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम । कैलाशशैलस्थितदेवताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्याम अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम । अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसंभृताभ्यां नमो नमः शङ्करपार्वतीभ्यां ॥ नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम । राका शशाङ्काभ ...

दुर्गा चालीसा

 नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अम्बे दुःख हरनी निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी शशि ललाट मुख महाविशाला नेत्र लाल भृकुटि विकराला रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो तुम संसार शक्ति लै कीना पालन हेतु अन्न धन दीना अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुन्दरी बाला प्रलयकाल सब नाशन हारी तुम गौरी शिवशंकर प्यारी शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो रूप सरस्वती को तुम धारा दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा धरयो रूप नरसिंह को अम्बा परगट भई फाड़कर खम्बा रक्षा करि प्रह्लाद बचायो हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं श्री नारायण अंग समाहीं नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो क्षीरसिन्धु में करत विलासा दयासिन्धु दीजै मन आसा हिंगलाज में तुम्हीं भवानी महिमा अमित न जात बखानी मातंगी धूमावति माता भुवनेश्वरी बगला सुख दाता श्री भैरव तारा जग तारिणी छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो नमो केहरि वाहन सोह भवानी लांगुर वीर चलत अगवानी कर में खप्पर खड्ग विराजै जाको देख का...

हनुमान चालीसा

 श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुण्डल कुंचित केसा हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूँज जनेउ साजे शंकर सुवन केसरीनंदन तेज प्रताप महा जग वंदन बिद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे लाय सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावैं अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना लंकेश्वर भए सब जग जाना जुग सहस...

बगलामुखी खड्ग माला मंत्र

श्री बगुलामुखी खड्गमाला मन्त्र यह बगुलामुखी माला मन्त्र शत्रुनाश एवं कृत्यानाश, परविद्या छेदन करने वाला एवं रक्षा कार्य हेतु प्रभावी है । साधारण साधकों को कुछ समय आवेश व आर्थिक दबाव रहता है, अतः पूजा उपरान्त शांति स्तोत्र का पाठ चाहिये । विनियोगः- ॐ अस्य श्रीपीताम्बरा बगलामुखी खड्गमाला मन्त्रस्य नारायण ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, ॐ कीलकं, ममाभीष्टसिद्धयर्थे सर्वशत्रु-क्षयार्थे जपे विनियोगः । हृदयादि-न्यासः-नारायण ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, बगलामुखी देवतायै नमः हृदि, ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये, स्वाहा शक्तये नमः पादयो, ॐ कीलकाय नमः नाभौ, ममाभीष्टसिद्धयर्थे सर्वशत्रु-क्षयार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे । षडङ्ग-न्यास - कर-न्यास – अंग-न्यास - ॐ ह्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः बगलामुखी तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा सर्वदुष्टानां मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट् वाचं मुखं पद स्तम्भय अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुम् जिह्वां कीलय कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्र-त्रयाय वौषट् बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट्। ध्यानः- हाथ में...

श्री नीलकंठ स्तोत्र

विनियोग - ॐ अस्य श्री भगवान नीलकंठ सदा-शिव-स्तोत्र मंत्रस्य श्री ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्ठुप छन्दः, श्री नीलकंठ सदाशिवो देवता, ब्रह्म बीजं, पार्वती शक्तिः, मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षे म-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थं च श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थेे पाठे विनियोगः।  ऋष्यादि-न्यास -  श्री ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि। अनुष्टुप छन्दसेनमः मुखे।  श्री नीलकंठ सदाशिव देवतायै नमः हृदि। ब्रह्म बीजाय नमः लिंगे।  पार्वती शक्त्यैनमः नाभौ।  मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षेम-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थंच श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे विनियोगाय नमः सर्वांगे।                                  ।।स्तोत्रम् ।।   ॐ नमो नीलकंठाय, श्वेत-शरीराय, सर्पा लंकार भूषिताय, भुजंग परिकराय, नागयज्ञो पवीताय, अनेक मृत्यु विनाशाय नमः। युग युगांत काल प्रलय-प्रचंडाय, प्र ज्वाल-मुखाय नमः। दंष्ट्राकराल घोर रूपाय हूं हूं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय, मंत्र...

श्री हरि स्तुति

                ।।श्री हरि स्तुति ।।  शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशहम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभांगम्।।  लक्ष्मीकातं कमलनयनं योगिभिध्र्यानगम्यं।  वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।  जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।  गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।  जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।  जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा। अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।। जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।  निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।। जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा। सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।। जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।  मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।। सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।   जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।   भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा...