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देव तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते है
पूजा मे बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते है
धूम धाम से साज बाज से वे मंदिर मे आते है
मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएं लाकर तुम्हें चढ़ाते है
मैं भी एक गरीब हूँ ऐसा कुछ भी साथ नहीं लाया
फिर भी साहस कर मंदिर मे पूजा करने को आया
धूप दीप नैवेद्य नहीं है झांकी का सामान नहीं
और गले मे पहनाने को सुंदर सा कोई हार नहीं
कैसे करूँ कीर्तन तेरा स्वर मे है माधुर्य नहीं
मन का भाव प्रकट करने को वाणी मे चातुर्य नहीं
नहीं दान है नहीं दक्षिणा खाली हाथ चला आया
पूजा की विधि नहीं जानता फिर भी नाथ चला आया
पूजा और पुजापा प्रभुवर इसी पुजारी को समझो
दान दक्षिणा और न्योछावर इसी भिखारी को समझो
मैं उन्मत्त प्रेम का प्यासा हृदय दिखाने आया हूँ
जो कुछ है बस यही पास है इसे चढ़ाने आया हूँ
चरणों में अर्पित है इसको चाहो तो स्वीकार करो
यह तो वस्तु आपकी ही है ठुकरा दो या प्यार करो /
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