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अग्नि की उत्पत्ति के सम्बन्ध में पौराणिक गाथा इस प्रकार है- सर्वप्रथम धर्म की वसु नामक पत्नी से अग्नि उत्पन्न हुआ। उसकी पत्नी स्वाहा से उसके तीन पुत्र हुए- पावक पवमान शुचि छठे मन्वन्तर में वसु की वसुधारा नामक पत्नी से द्रविणक आदि पुत्र हुए, जिनमें 45 अग्नि-संतान उत्पन्न हुए। इस प्रकार सब मिलाकर 49 अग्नि हैं। विभिन्न कर्मों में अग्नि के भिन्न-भिन्न नाम हैं। लौकिक कर्म में अग्नि का प्रथम नाम पावक है। गृहप्रवेश आदि में निम्नांकित अन्य नाम प्रसिद्ध हैं- अग्नेस्तु मारुतो नाम गर्भाधाने विधीयते। पुंसवने चन्द्रनामा शुगांकर्मणि शोभन:।। सीमन्ते मंगलो नाम प्रगल्भो जातकर्मणि। नाग्नि स्यात्पार्थिवी ह्यग्नि: प्राशने च शुचिस्तथा।। सत्यनामाथ चूडायां व्रतादेशे समुद्भव:। गोदाने सूर्यनामा च केशान्ते ह्यग्निरुच्यते।। वैश्वानरो विसर्गे तु विवाहे योजक: स्मृत:। चतुर्थ्यान्तु शिखी नाम धृतिरग्निस्तथा परे।। प्रायश्चित्ते विधुश्चैव पाकयज्ञे तु साहस:। लक्षहोमे तु वह्नि:स्यात कोटिहोमे हुताश्न:।। पूर्णाहुत्यां मृडो नाम शान्तिके वरदस्तथा। पौष्टिके बलदश्चैव क्रोधाग्निश्चाभिचारिके।। वश्यर्थे शमनी नाम वरदानेऽभिदूषक:...